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. 5 फरवरी भीष्म अष्टमी - निर्वाण दिवस /भीष्म पितामह की जीवन गाथा

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 भीष्म पितामह की जीवन गाथा भीष्म पितामह का जन्म का नाम देवव्रत था. इनके जन्म कथा अनुसार इनके पिता हस्तिनापुर के राजा शांतनु थे. एक बार राजा शांतनु, गंगा के तट पर जा पहुंचते हैं, जहां उनकी भेंट एक अत्यंत सुन्दर स्त्री से होती है. उस रुपवती स्त्री के प्रति मोह एवं प्रेम से आकर्षित होकर वे उनसे उसका परिचय पूछते हैं और अपनी पत्नी बनने का प्रस्ताव रखते हैं. वह स्त्री उन्हें अपना नाम गंगा बताती है और उनके विवाह का प्रस्ताव स्वीकार करते हुए एक शर्त भी रखती है, की राजा आजीवन उसे किसी कार्य को करने से रोकेंगे नहीं और कोई प्रश्न भी नहीं पूछेंगे. राजा शांतनु गंगा की यह शर्त स्वीकार कर लेते हैं और इस प्रकार दोनो विवाह के बंधन में बंध जाते हैं. गंगा से राजा शान्तनु को पुत्र प्राप्त होता है, लेकिन गंगा पुत्र को जन्म के पश्चात नदी में ले जाकर प्रवाहित कर देती है. अपने दिए हुए वचन से विवश होने के कारण शांतनु, गंगा से कोई प्रश्न नहीं करते हैं . इसी प्रकार एक-एक करके जब सात पुत्रों का वियोग झेलने के बाद, गंगा राजा शांतनु की आठवीं संतान को भी नदी में बहाने के लिए जाने लगती है तो अपने वचन को तोड़ते हु...

अरथूना

 अरथूना ✨ अरथुना राजस्थान के बांसवाडा जिले में स्थित है एक छोटा शहर है। अर्थुना 11वीं, 12वीं और 15वीं सदी से जुड़े नष्ट हिंदू और जैन मंदिरों के लिए जाना जाता है। यह 11वीं शताब्दी के दौरान वागड के परमारा शासकों की राजधानी थी। उन्होंने एक साथ जैन और शैव धर्मों का संरक्षण किया, जिससे उन्होंने कई शिव मंदिरों का निर्माण किया। अरथुना में कई प्राचीन मन्दिर और मूर्तियां खुदायी में निकली हैं जिन्हें पुरातात्विक दृष्टि से बेशकीमती एवं दुर्लभ माना जाता है। यहां के मन्दिरों में शैव, वैष्णव, जैन आदि सम्प्रदायों का समन्वय मिलता है। अरथुना में प्राचीन मण्डलेश्वर शिवालय मुख्य है। इसके अलावा विष्णु, ब्रह्माजी, महावीर आदि की मूर्तियों वाले मन्दिर हैं। यहां के मण्डलेश्वर शिवालय में गर्भगृह सभा मण्डप से काफी नीचे है जिसमें 2 फीट का बडा शिवलिंग है जिसकी जलाधारी तीन फीट गोलाई वाली है। इस मन्दिर का निर्माण दक्षिण भारतीय शैली में हुआ है। परमारा के राजा चामुंडाराजा के शिलालेख में दर्ज है कि उन्होंने मंदालेसा नमक शिव मंदिर को 1079 ई में अपने पिता के सम्मान में बनाया था| 1080 ई की एक और शिलालेख में बताया गया ...

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राव सूरजमल हाड़ा/बूंदी नरेश राव सूरजमल हाडा (1527-1531)