. 5 फरवरी भीष्म अष्टमी - निर्वाण दिवस /भीष्म पितामह की जीवन गाथा

• बीकानेर के राठौड़ शासकों की कुल देवी नागणेच्या माता वह इनकी इष्ट देवी करणी माता है 'चूहों वाली देवी' के नाम से भी विख्यात है। इनका जन्म सुआप गाँव में चारण जाति के श्री मेहा जी के घर हुआ था। देशनोक स्थित इनके मंदिर में बड़ी संख्या में चूहे हैं जो 'करणी जी के काबे' कहलाते हैं। चारण लोग इन चूहों को अपना पूर्वज मानते हैं। यहाँ के सफेद चूहे के दर्शन करणी जी के दर्शन माने जाते हैं। करणी जी का मंदिर मंढ कहलाता है। ऐसी मान्यता है कि करणी जी ने देशनोक कस्बा बसाया था
• करणीजी की इष्ट देवी 'तेमड़ा जी' थी। करणी जी के मंदिर के पास तेमड़ा राव देवी का भी दिए है। जाता है कि करणी देवी का एक रूप 'सफेद चील' भी है।
करणी माता द्वारा अपने पिताजी को जिवन दान
• करणी माता के मंदिर से कुछ दूर 'नेहड़ी' नामक दर्शनीय स्थल है, जहाँ करणी देवी सर्वप्रथम रहे थे। यहाँ स्थित शमी (खेजड़ी) के एक वृक्ष पर माता डोरी बाँधकर दही बिलोया करती थी। इसकी छाल नाखून से उतारकर भक्त गण अपने साथ ले जाते हैं। इसे चाँदी के समान शुद्ध माना जाता है।
• करणी जी के मठ के पुजारी चारण जाति के होते हैं। जो अधिकतर देपावत गोत्र के चारण होते हैं ,मठ का मुख्य पुजारी एक महीने तक मंदिर परिसर से बाहर नही जाता
• करणीजी के आशीर्वाद एवं कृपा से ही राठौड़ शासक 'राव बीका' ने बीकानेर क्षेत्र में राठौड़ वंश के शासन की स्थापना की थी , बीकानेर के जुनागढ़ दुर्ग की रक्षा करणी माता ने अनेकों बार की है
आइए जानते हैं करणी माता के पहले चमत्कार के बारे मे
कहा जाता है कि मारवाड़ नरेश राव जोधा के आग्रह पर करणी माता ने अपने ही हाथों से ही मेहरानगढ़ दुर्ग की नीं
व लगवाईं थी ।
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