. 5 फरवरी भीष्म अष्टमी - निर्वाण दिवस /भीष्म पितामह की जीवन गाथा

संस्कृत के 'राष्ट्रकूट' शब्द से राठौड़ शब्द का उद्भव हुआ है। प्राचीन समय में राष्ट्रकूटों का शासन महाराष्ट्र एवं उसके आसपास के भू-भागों पर था। इस प्रकार राठौड़ वंश का संबंध दक्षिण-पश्चिम भारत के राष्ट्रकूट जाति से माना जा सकता है। राठौड़ों की उत्पत्ति का मामला अभी तक भी विवादास्पद है। इनको उत्पत्ति से संबंधित प्रमुख मत निम्न हैं- 1. राजस्थानी साहित्यकार दयालदास ने राठौड़ों को सूर्यवंशी बताया है
2 मुहणौत नैणसी ने राठौड़ों को कन्नौज से आना सिद्ध किया है।
4 राज रत्नाकार ग्रंथ में एवं कुछ भाट साहित्यकारों ने इन्हें दैत्यवंशी हिरण्यकश्यप का वंशज बताया है।
6 राठौड़ वंश महाकाव्य (1596 ई) के अनुसार राठौड़ों की उत्पत्ति शिवजी के सिर पर स्थित चन्द्रमा से हुई है।
• राष्ट्रकूट शासक अमोघवर्ष (प्रथम) के समय के कोन्नूर के शिलालेख (वि.सं. 917) व राठौड़ गोविंदराज के समय के खंभात के ताम्रपत्र (वि.सं 987) में राठौड़ों को चन्द्रवंशी बताया गया है।
• राठौड़ों के संबंध में मौर्य सम्राट अशोक के समय से जानकारी मिलती है। अशोक के शिलालेखों में कुछ दक्षिण जातियों के लिए रिस्टिक, लटिक, रटिका आदि शब्दों का प्रयोग हुआ है जो 'रट्ट' शब्द के प्राकृत रूप हैं। वे शब्द राष्ट्रकूट शब्द से मिलते-जुलते हैं।
• राठौड़ वंश की शाखाएँ:
• दक्षिण कि #राष्ट्रकूटों की वंशावली छठी सदी के प्रतापी शासक #दतिवर्मा से शुरू होती है।
• गुजरात के राष्ट्रकूटों की दूसरी शाखा का प्रारंभ इन्द्रराज से होता है।
काठियावाड़, बदायूं, कन्नौज आदि में 7वीं 8वीं सदी में राष्ट्रकूटों का शासन था।
• राजस्थान के राठौड राजस्थान में राठौड़ों की चार शाखाएँ थीं-
1. हस्तिकुण्डी के राठौड़, 2 घनोप के राठौड़, 3. वागड़ के राठौड़, 4 जोधपुर-बीकानेर के राठौड़।
प्रथम तीन शाखाओं के राठौड़ों के दक्षिण के राठौड़ों (राष्ट्रकूटों) के वंशज होने का अनुमान है।
(1) हस्तिकुण्डी के राठौड़ इनका शासन गौड़वाड़ क्षेत्र में था। इस वंश के प्रमुख शासक हरिवर्मा, विदग्धार मम्मट, धवल, बालाप्रसाद आदि थे।
(11) धनोप शाखा के राठौड़ों के प्रमुख शासक, चच्च, भल्लीन, दन्तिवर्मा, बुद्धराज, गोविंद आदि थे। बागड़ की राठौड़ शाखा में राका एवं विक्रम नामक शासकों का विवरण नौगामा के शिलालेख में प्राप्त हुआ है। इ छप्पनियाँ राठौड या वागड़िया राठौड़ कहते थे।
(iv) राजस्थान में राठौड़ों की सबसे प्रसिद्ध एव बड़ी शाखा जोधपुर-बीकानेर के राठौड़ों की है। इस शाखा का मूल पुरुष एवं सीहा था जो संभवतः कन्नौज में जयचंद, गहड़वाल के मुहम्मद गौरी से पराजित होने के बाद राजस्थान आया था।
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