. 5 फरवरी भीष्म अष्टमी - निर्वाण दिवस /भीष्म पितामह की जीवन गाथा

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 भीष्म पितामह की जीवन गाथा भीष्म पितामह का जन्म का नाम देवव्रत था. इनके जन्म कथा अनुसार इनके पिता हस्तिनापुर के राजा शांतनु थे. एक बार राजा शांतनु, गंगा के तट पर जा पहुंचते हैं, जहां उनकी भेंट एक अत्यंत सुन्दर स्त्री से होती है. उस रुपवती स्त्री के प्रति मोह एवं प्रेम से आकर्षित होकर वे उनसे उसका परिचय पूछते हैं और अपनी पत्नी बनने का प्रस्ताव रखते हैं. वह स्त्री उन्हें अपना नाम गंगा बताती है और उनके विवाह का प्रस्ताव स्वीकार करते हुए एक शर्त भी रखती है, की राजा आजीवन उसे किसी कार्य को करने से रोकेंगे नहीं और कोई प्रश्न भी नहीं पूछेंगे. राजा शांतनु गंगा की यह शर्त स्वीकार कर लेते हैं और इस प्रकार दोनो विवाह के बंधन में बंध जाते हैं. गंगा से राजा शान्तनु को पुत्र प्राप्त होता है, लेकिन गंगा पुत्र को जन्म के पश्चात नदी में ले जाकर प्रवाहित कर देती है. अपने दिए हुए वचन से विवश होने के कारण शांतनु, गंगा से कोई प्रश्न नहीं करते हैं . इसी प्रकार एक-एक करके जब सात पुत्रों का वियोग झेलने के बाद, गंगा राजा शांतनु की आठवीं संतान को भी नदी में बहाने के लिए जाने लगती है तो अपने वचन को तोड़ते हु...

नागणेच्या माता की आरती, राठोड़ कुलदेवी नागणेच्या माता के दोहे, नागणेच्या माता की स्तुति,/नागणेच्या माता की आरती 🚩🙏

 नागणेच्या माता के दोहे 

       मां नागाणा राय स्तुति 🙏 🚩 

करी विनंती सो बन्दो जन सनमुख रहे सुजान। प्रकट नागणेची मुख कयो मांग धूहड़ वरदान ।।




 🚩नागणेच्या माता की स्तुति 🙏🚩



रिद्धी दे सिद्धी दे, अष्ट नव निधी दे। 
वंश में वृद्धि दे, वाग वाहनी। 
चित्त में ज्ञान दे, हृदय में ध्यान दे।
अभय वरदान दे, शंभु रानी।
 दुख को दूर कर, सुख भरपूर कर। 
आशा संपूर्ण कर दास जानी।
सज्जन सो हित दे, कुटुंब में प्रीत दे।
जंग में जीत दे मां नागणेची ।।। ।।

        

मां नागाणा राय का परिचय  जानने के लिए क्लिक करें


    श्री नागणेचियां माता की आरती🚩🙏


ॐ नागणेचियां माता, जय नागणेचियां माता 
प्रतिदिन मां को पूजे, गुण प्रति पल गाता ।।
 मणिमय मुकट मैया के, मस्तक पर राजै 
 सगती मां अति सोभित, सिंह वाहन साजै।।

कर में कमल त्रिशूला, खड्ग खप्र धारी  

चारूंभुजा अति सोभत, भय रा भय हारी ॥

 चामुंडा माता चूंडे रा, धूहड़ री दाता 
राठाणी राष्ट्रवरों री, शक्ति सुख दाता ।। 

 अम्बा दुर्गा लक्ष्मी आप ही, मंगल मय माता 
ज्योति ज्ञान जगाओ, वर दो वर दाता ॥

 
अन्त करण सूं अविरल, धूहड़ जद धाई

कृपा कर कमधज पर, आप बेल आई ॥

 
काटे विघ्न कलेश को, कुमति दूर करो। 
सुमति दो मां सगती, भक्ति भाव भरो 


 लाज रखण हित ललना, करुणा पाठ करियो 
दुष्ट डसण हित देवी, नागण रूप धरियो ||

दया निध मां दया कर, दान अभय दीजो
भक्त कह कर जोड़ी, कृपा आप कीजो ॥ॐ॥





🚩नागणेची-स्तोत्र🚩


नागणेची आद सगती, नमस्तस्यै नमो नमः 
नित करै राठौड़ भगती, नमस्तस्यै नमो नमः
 रूप है चक्रेसरी रौ, नमस्तस्यै नमो नमः
 तेज दिक्खण देस री री, नमस्तस्यै नमो नमः
 मात करपी राव धूहड़, नमस्तस्यै नमो नमः 
लाय थरपी राव धूहड़, नमस्तस्यै नमो नमः
 तूठ कुळदेवी बणी है, नमस्तस्यै नमो नमः 
राय नागाणा तणी है, नमस्तस्यै नमो नमः
 तूठणी है नागरूपा, नमस्तस्यै नमो नमः 
मरुधरा - नीम-धणियाणी सरूपा, नमस्तस्यै नमो नमः 
राठेसरी है, नमस्तस्यै नमो नमः
 पंखणी रै वेस री है, नमस्तस्यै नमो नमः
 रात-दिन राठौड़ ध्यावै, नमस्तस्यै नमो नमः
मात-किरपा भल सवावै, नमस्तस्यै नमो नमः


>>नागाणा राय दोहे, 

नागाणा राय स्तुति 🙏 🚩 


सुमत समापो शारदा, उकती दीजौ आय।

नमः नमः नागणेच्यां, सगत करज्यो स्याय ॥


आद भवानी अम्बिका, म्हारी पूज्या माय।

नागणेच्यां थांनै नर्मू, सगत करजे स्याय ।।


नमः नमः नागणेच्यां, राष्ट्रवरां री राय।

नत मस्तक थांने नमूं, पूजूं थारा पाय ।।


रटतां धूहड़ राव रै, आया बेलज आप।

नागणेच्यां थांनै नर्मू, सगत करजै स्याय ।।


राठाणी माता रहूं, पूजां थारा पाय।

कमधां पर करजै कृपा, हे नागाणा राय ॥


धूहड़ रटी जद ध्यान सूं, गुण थारोड़ा गाय।

महर करी मातेश्वरी, आप नागाणा आय ।।


तूं अम्बा तूं राठाणी, चामुंड मात सरूप।

नागणेच्यां थांनै नर्मू, रचे मां कई रूप ॥


चामुंड मात चूंडे रा, जपूं तुम्हारो जाप।

नागणेच्यां थांनै नर्मू, उकती दीजो आप ।।


सीहा री पूज्या सगत, अखंड रूप हो आप।

राठाणी चामंड रहूं, जपूं नागणेची जाप ॥


अरज करां जद आपनै, कमधज हित रै काम।

आप बिराजी अर्ज सुण, गढ नागाणे गाम ॥










     

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