भीष्म पितामह की जीवन गाथा भीष्म पितामह का जन्म का नाम देवव्रत था. इनके जन्म कथा अनुसार इनके पिता हस्तिनापुर के राजा शांतनु थे. एक बार राजा शांतनु, गंगा के तट पर जा पहुंचते हैं, जहां उनकी भेंट एक अत्यंत सुन्दर स्त्री से होती है. उस रुपवती स्त्री के प्रति मोह एवं प्रेम से आकर्षित होकर वे उनसे उसका परिचय पूछते हैं और अपनी पत्नी बनने का प्रस्ताव रखते हैं. वह स्त्री उन्हें अपना नाम गंगा बताती है और उनके विवाह का प्रस्ताव स्वीकार करते हुए एक शर्त भी रखती है, की राजा आजीवन उसे किसी कार्य को करने से रोकेंगे नहीं और कोई प्रश्न भी नहीं पूछेंगे. राजा शांतनु गंगा की यह शर्त स्वीकार कर लेते हैं और इस प्रकार दोनो विवाह के बंधन में बंध जाते हैं. गंगा से राजा शान्तनु को पुत्र प्राप्त होता है, लेकिन गंगा पुत्र को जन्म के पश्चात नदी में ले जाकर प्रवाहित कर देती है. अपने दिए हुए वचन से विवश होने के कारण शांतनु, गंगा से कोई प्रश्न नहीं करते हैं . इसी प्रकार एक-एक करके जब सात पुत्रों का वियोग झेलने के बाद, गंगा राजा शांतनु की आठवीं संतान को भी नदी में बहाने के लिए जाने लगती है तो अपने वचन को तोड़ते हु...
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नागणेच्या माता की आरती, राठोड़ कुलदेवी नागणेच्या माता के दोहे, नागणेच्या माता की स्तुति,/नागणेच्या माता की आरती 🚩🙏
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नागणेच्या माता के दोहे
मां नागाणा राय स्तुति 🙏 🚩
करी विनंती सो बन्दो जन सनमुख रहे सुजान। प्रकट नागणेची मुख कयो मांग धूहड़ वरदान ।।
🚩नागणेच्या माता की स्तुति 🙏🚩
रिद्धी दे सिद्धी दे, अष्ट नव निधी दे। वंश में वृद्धि दे, वाग वाहनी। चित्त में ज्ञान दे, हृदय में ध्यान दे। अभय वरदान दे, शंभु रानी। दुख को दूर कर, सुख भरपूर कर। आशा संपूर्ण कर दास जानी। सज्जन सो हित दे, कुटुंब में प्रीत दे। जंग में जीत दे मां नागणेची ।।। ।।
नागणेच्या माता मंदिर बोरटा नगरी (भिनमाल) बोरटा गांव के पास स्थित पहाड़ी पर नवनिर्मित नागणेचिया माता का मंदिर बनाया गया है। मंदिर के चारों दिशाओं में अलग-अलग देवताओं के मंदिर भी बनाए हुए है। मंदिर के सामने श्रद्धालुओं के बैठने के लिए विशाल चौकी, धर्मशालाएं का भी निर्माण किया गया है। दूर-दराज से आने वाले श्रद्धालु कुछ देर के लिए रुके इसके लिए यहां कमरों, सुंदर बगीचे का निर्माण भी करवाया गया है। पशु-पक्षियों के लिए विशाल चबूतरे का निर्माण भी करवाया हुआ है प्रवेश द्वार नागणेच्या माता मंदिर बोरटा नगरी की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि बोरटा नगरी जैतमलोत राठौड़ राठौड़ राव सलखाजी के द्वितीय पुत्र जैतमालजी के वंशज जैतमाल राठौड़ कहलाए। जैतमालजी के बड़े भाई मल्लीनाथजी ने सिवाना पर आक्रमण करके मुसलमानों को परास्त किया तथा सियाना का अधिपति अनुज जैतमाल को बनाया। राजस्थान राज्य अभिलेखागार, बीकानेर के संग्रह से जैतमालजी के बारह पुत्रों की जानकारी मिलती है-हापा, खीमकरण, बेजल, लुभा, चांपा, सोभा, रोडसल, माणकमल, नंदीदास, लखनजी, पाताजी और मेलोजी। जैतमालजी ने गुजरात के राघरा क्षेत्र सोडा (...
करमसोत राठौड़ो का इतिहास भाग 2 पिछले लेख में हमने जाना कि किस प्रकार राव जोधा द्वारा अपने पुत्र को खिंवसर जागीरदार नियुक्त किया गया ओर ठाकुर करमसी जोधावत ने किस प्रकार युद्ध लड़ते हुए वीरगति को प्राप्त हुए करमसी जोधावत करमसोत राठौड़ो का इतिहास भाग 1 - पढ़ने के लिए क्लिक करें करमसी जोधावत का परिचय ठाकुर करमसी जोधावत के पांच पुत्र हुए जिनको इनके द्वारा अलग अलग ठिकानों का प्रबंध दिया, करमसी जोधावत के अधिकार क्षेत्र मे इस समय खिंवसर, आसोप, ओर नाड़सर थे करमसोतो का पाटवी घराना खिंवसर है करमसी जोधावत के पश्चात उनके पुत्र राठोड़ पचांयण जी करमसोत को खिंवसर का उत्तराधिकारी घोषित किया गया। पचायण जी करमसोत करमसी जोधावत के पश्चात उनके सुयोग्य पुत्र कुंअर पचांयण जी करमसोत को खिंवसर ठिकाने का पाटवी बनाया गया। पंचायण जी करमसोत एक महान योद्धा थे जिन्होंने अपनी वीरता और बलिदान से इतिहास में महत्वपूर्ण स्थान प्राप्त किया। उन्होंने शेरशाह सूरी के खिलाफ लड़ाई में भाग लिया और अपनी वीरता के कारण शेरशाह की सेना को रोक...
नागणेच्या माता मंदिर जालौर फाइल फोटो - नागणेच्या माता मंदिर जालौर जालौर स्थित नागणेच्या माता मंदिर का निर्माण जोधपुर महाराजा द्वारा READ MORE- नागणेच्या माता के मंत्र ओर आरती जालौर में राठौड़ वंश की कुलदेवी श्री नागणेच्यां माताजी की स्थापना मारवाड़ के महाराजा गजसिंह जी प्रथम ने विक्रम सवंत 1626 ई. में की थी, महाराजा गजसिंह जी जोधपुर के महाराजा सूरसिंहजी के पुत्र थे, और वे उनके बाद महाराजा मारवाड़ के शासक बने, महाराजा गजसिंहजी का शासन काल 1619 से 1638 ई तक रहा, महाराजा गजसिंहजी के शासक बनने के 5 वर्ष बाद जालौर परगने का जायजा लेने जालौर पधारे महाराजा के जालौर आगमन पर जालौर की जनता एवं परगने के सिरदारो ने महाराजा का भव्य स्वागत किया गया, रात्री का विश्राम महाराजा ने शिकारखाने में ही किया, दूसरे दिन महाराजा ने हाकिम साहब जयमल जी मुणोत से पुछा की शिकार खाने के ऊपरी पहाडी पर ये जो विशाल चट्टान दिख रही है, वह चट्टान कैसी है, हाकम साहब ने कहा कि पहाड़ी के ऊपर एक बडी ही मनोरम गुफा है । महाराजा ने उस विशाल चट्टान को देखा और हाकम साहब व कामदार को आदेश दिया, कि इस ग...
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